बीर पुरुषों की कहानी
ऐसा वीर जिसने सेना में आगे रहने को अपना सिर काटकर फेंका था किले में ।
राजस्थान का अपना एक गौरवमयी इतिहास को स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है। एक वीर योद्धा की कहानी जिसने
राजा की सेना में आगे रहने के लिए अपनी सिर काटकर किले में फेंक दिया था...
जो एक उदयपुर का रहनेवाला था । राजस्थान का इतिहास अपने आप मे बहुत स्वभाग्य पूर्ण रहा है यहां के राजपूतों के हजारों वीरता की सच्ची गाथाओं के लिए भी जाना जाता है। उन्हीं गाथाओं मे से एक है जैत सिंह चुण्डावत की पांरपरिक कहानी।
मेवाड़ के महाराणा अमर सिंह की सेना की दो राजपूत रेजिमेंट चुण्डावत और शक्तावत में अपनी श्रेष्ठता बरकरार ऱखने के लिए एक प्रतियोगिता हुई थी। इस प्रतियोगिता को राजपूतों की अपनी आन, बान और अपनी शान के लिए अपने प्राण तक को न्यौछावर कर देने वाली कहावत का एक अच्छा उदाहरण माना जाता है।।
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मेवाड़ के राजा महाराणा अमर सिंह की सेना में विशेष पराक्रमी होने के कारण चुण्डावत खांप के वीरों को ही युद्ध भूमि में अगली पंक्ति में रहने का गौरव मिला हुये थे । वह उसे अपना अधिकार man रहे थे। किन्तु शक्तावत खांप के वीर राजपूत भी अपने को कम पराक्रमी नहीं थे। उनकी भी यही इच्छा थी की युद्ध क्षेत्र में सेना में आगे रहकर मृत्यु से पहला मुकाबला उनका होना ही चाहिए। उन्होंने मांग रखी कि हम चुंडावतों से त्याग, बलिदान व शौर्य में किसी भी प्रकार थोड़ी भी कम नहीं है।इसी कारण युद्ध भूमि में आगे रहने का अधिकार हमें मिलना चाहिए। इसके लिए एक प्रतियोगिता रखी गई जिसे जीतने के लिए चुण्डावत ने अपना सिर अपनी धड़ से अलग कर किले में फेंक दिया था।
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